Magazine

नेट निरपेक्षता के मामले में भारतीय भाषाओं में भी परामर्श पत्र जारी करने की मांग

प्रति                                                                                              दिनांक – 20/04/2015

चेयरमैन

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण

नई दिल्ली

विषय – ओवर द टॉप (OTT) सेवाओं के विनियामक तंत्र के संबंध में जारी परामर्श पत्र को हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने एवं भाषाई स्तर पर उपभोक्ताओं तथा संबंधित पक्षों से परामर्श ग्रहण करने हेतु समयावधि को आगे बढ़ाने के संबंध में।

महोदय

मीडिया स्टडीज ग्रुप, इंडिया (एमएसजी) संप्रेषण और संचार से जुड़े विषयों को समर्पित सोसायटी एक्ट के तहत पंजीकृत समूह है। यह अनुभवी और प्रतिष्ठित पत्रकारों के साथ नए उभर रहे संघर्षशील पत्रकारों का एक साझा मंच है। वरिष्ठ पत्रकार, शिक्षक और शोधकर्ता इस समूह से जुड़े हुए हैं। ग्रुप संप्रेषण-संचार, मीडिया और पत्रकारिता से संबंधित शोध और सर्वे के अलावा दो शोध जर्नल जन मीडिया (हिंदी में) और मास मीडिया (अंग्रेजी में) का भी मासिक प्रकाशन करता है।

महोदय,

  • इंटरनेट स्वराज एक बड़ा मुद्दा है जो अंततः न सिर्फ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं ग्राहक के चुनाव की स्वतंत्रता से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है बल्कि मोबाइल एवं इंटरनेट के उपभोक्ता के तौर पर इस देश की अधिसंख्य आबादी से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। ओवर द टॉप (OTT) सेवाओं का विनियामक तंत्र बनाने का मामला एक जटिल मुद्दा है और इंटरनेट संबंधी किसी भी नियम कानून में परिवर्तन का पूरे देश के मोबाइल उपभोक्ताओं पर गहरा असर पड़ने वाला है।
  • इस समय पूरे देश में 999 मिलियन मोबाइल उपभोक्ता हैं1 ,जिसमें शहरी ग्राहकों की संख्या 639 मिलियन और ग्रामीण ग्राहकों की संख्या 360 मिलियन है। शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं का अनुपात क्रमशः 64 प्रतिशत और 36 प्रतिशत है। जाहिर है कि मोबाइल उपभोक्ताओँ में ग्रामीण ग्राहकों की संख्या एक तिहाई से अधिक है।
  • भारत में 144 मिलियन स्मार्टफोन प्रयोक्ता हैं और उनकी संख्या 54 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ रही है। मोबाइल पर इंटरनेट प्रयोग करने वालों की संख्या दिसंबर 2014 तक 173 मिलियन थी जिसके जून 2015 तक 23 प्रतिशत के हिसाब से बढ़कर 213 मिलियन हो जाने की उम्मीद है।2 इंटरनेट एवं मोबाइल एसोसिएशन आफ इंडिया के आंकड़ों को मानें तो भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 33 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ रही है और इसे जून 2015 तक 53 मिलियन हो जाने की उम्मीद है। इन आंकड़ों से साफ है कि ग्रामीण भारत मोबाइल उपभोग और इसलिए मोबाइल इंटरनेट उपभोग क्षेत्र में वृद्धि का कारक है।1 अगर मोबाइल इंटरनेट उपभोक्ताओं के उपभोग को देखें तो पता चलता हैकि 74 प्रतिशत उपभोक्ता ईमेल देखने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। इसके बाद 61 प्रतिशत सोशल नेटवर्किंग साइट्स देखने के लिए मोबाइल इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।3
  • मोबाइल उपभोक्ताओँ का औसत खर्च 13 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और यह 439 रूपये प्रति माह हो गया है। आंकड़ों के हिसाब से देखें तो 63 प्रतिशत मोबाइल इंटरनेट उपभोक्ताओं ने अपने कनेक्शन पर प्रति माह औसतन 101-500 रूपये खर्च किए। 26 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने 501-1000 रूपये अपने कनेक्शन पर खर्च किए और 7 प्रतिशत उपभोक्ताओं का खर्च 100 रूपये प्रति महीने से कम रहा।4 पिछले साल इस खर्च का 45 प्रतिशत इंटरनेट के उपभोग पर था जो इस साल बढ़कर 54 प्रतिशत हो गया है।5 साफ है कि मोबाइल पर इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ रही है।
  • भारत की जनसंख्या के आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि देश में हिंदी भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या कुल जनसंख्या का 41.03 प्रतिशत है। इसी तरह बंगाली बोलने वाले 8.11 प्रतिशत, तेलुगू 7.19 प्रतिशत, मराठी 6.99 प्रतिशत, तमिल 5.91 प्रतिशत, उर्दू 50.1 प्रतिशत, गुजराती 4.48 प्रतिशत और कन्नड बोलने वाले 3.69 प्रतिशत हैं।6 जाहिर है कि ये सभी स्टेकहोल्डर हैं और बिना इनसे परामर्श के किसी सर्वमान्य निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सकता। परामर्श पत्र को केवल अंग्रेजी में जारी करने से भारतीय भाषाओं का बड़ा हिस्सा इसमें भागीदारी नहीं कर पाएगा। इसलिए परामर्श पत्र को केवल अंग्रेजी में जारी करना न सिर्फ भारतीय संविधान की मूल भावना तथा सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के भी खिलाफ होगा।
  • सर्वविदित है कि भाषाई स्तर पर अपना कारोबार बढ़ाने के लिए ही इंटरनेट सेवा प्रदाता एवं मोबाइल सेवा प्रदाता लगातार अपनी सेवाओं को भारतीय भाषाओं में ढाल रहे हैं। भारतीय भाषाओं में सेवाएं उपलब्ध कराने से इंटरनेट एंव मोबाइल के कारोबार में आशातीत वृद्धि हुई है एवं उन उपभोक्ताओँ को भी इंटरनेट से जोड़ा जा सका है जो अभी तक इंटरनेट की सुविधा से दूर थे। यह साफ है खुद इंटरनेट सेवा प्रदाता एवं मोबाइल सुविधा प्रदाता इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि भारतीय भाषाई क्षेत्र में मोबाइल एवं इंटरनेट का बड़ा बाजार है। अतः यह जरूरी है कि इस परामर्श पत्र को अंग्रेजी के अतिरिक्त भारतीय भाषाओं में भी जारी किया जाए ताकि सही अर्थों में परामर्श के नतीजों तक पहुंचा जा सके।
  • इस संबंध में मीडिया स्टडीज ग्रुप आपसे मांग करता है कि वर्तमान परामर्श पत्र को हिंदी सहित संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में अनुवाद कराया जाए। यह अनुवाद आम बोलचाल की भाषा में होना चाहिए जिससे कि भाषाई स्तर पर जवाब देने में परेशानी न हो।
  • इस विषय के बारे में व भविष्य में इसके प्रभावों के बारे में व्यापक जागरुकता अभियान चलाया जाना चाहिए। लोगों को बताना चाहिए कि इंटरनेट की स्वतंत्रता के क्या मायने हैं, टेलीकॉम कंपनियां कैसे काम करती हैं, सोशल मीडिया क्या है, उनका लोगों के जीवन पर कैसे प्रभाव पड़ रहा है या पड़ेगा। इस तरह की जागरूकता के बाद ही आम लोगों को इस मसले पर अपने विचार रखने को कहा जाए। परामर्श पत्र के अनुवाद को इनंटरनेट व मोबाइल के इन भाषाई उपभोक्ताओँ को उपलब्ध कराया जाए ताकि इस परामर्श में भाषाई उपभोक्ताओं के विचार भी शामिल किए जा सकें जिससे कि सच्चे अर्थों में सभी स्टेकहोल्डरों के विचारों को जाना जा सके।
  • इतने महत्वपूर्ण मसले पर समाज के सभी तबको और संसद जैसी संवैधानिक संस्था के बीच बहस के लिए प्रस्तुत किया जाना भी जरूरी है। अभी जब संसद का सत्र स्थगित है, उस समय इस विषय पर परामर्श की हड़बड़ी दिखाना उचित नहीं है। समाज के सभी वर्गों व संसद में उनका प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधियों को भी इस मसले पर विचार विमर्श करने का समय देना चाहिए। संसद पूरे देश के लोगों का प्रतिनिधित्व करती है और इस तरह के महत्वपूर्ण मसले पर उसके परामर्श को नजरअंदाज करने का मतलब व्यापक जनमत और संविधान को नजरअंदाज करना है। उचित होगा कि परामर्श की तारीख मानसून सत्र तक बढ़ाया जाए।
  • भाषाई उपभोक्ताओं तक इस परामर्श पत्र को पहुंचाने के लिए संबंधित भाषाई क्षेत्र में विज्ञापन करके सूचना पहुंचाना भी जरूरी है, क्योंकि केवल परामर्श पत्र जारी कर देने भर से प्राधिकरण की जिम्मेदारी पूरी नहीं हो जाती है।

धन्यवाद

अनिल चमड़िया

(अध्यक्ष, मीडिया स्टडीज ग्रुप)

Email – msgroup.india@gmail.com

Mob. – 9868456745, 9910638355

Web – www.mediastudiesgroup.org.in

संदर्भ

1- https://www.coai.com/statistics/telecom-statistics/national

2- https://www.livemint.com/Politics/RPQoGQAAhIP8ZwmECrChpK/India-to-have-213-million-mobile-Internet-users-by-June-Rep.html

3- https://www.coai.com/statistics/telecom-statistics/national

4- https://www.livemint.com/Politics/RPQoGQAAhIP8ZwmECrChpK/India-to-have-213-million-mobile-Internet-users-by-June-Rep.html

5- https://www.livemint.com/Politics/RPQoGQAAhIP8ZwmECrChpK/India-to-have-213-million-mobile-Internet-users-by-June-Rep.html

6-https://www.censusindia.gov.in/Census_Data_2001/Census_Data_Online/Language/Statement4.aspx

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Videos

Subscription

MSG Events

    मीडिया स्टडीज ग्रुप (एमएसजी) के स्टैंड पर नेपाल के पर्यावरण मंत्री विश्वेन्द्र पासवान। विश्व पुस्तक मेला-2016, प्रगति मैदान, नई दिल्ली

Related Sites

Surveys and studies conducted by Media Studies Group are widely published and broadcast by national media.

Facebook

Copyright © 2023 The Media Studies Group, India.

To Top
WordPress Video Lightbox Plugin