Author

Posts By Author

  • 731
    Magazine

    1867 बनाम 2023 का प्रेस कानून और राष्ट्रवाद का जंजीर – अनिल चमड़िया

    ‘प्रेस और नियत कालिक पत्रिका रजिस्ट्रीकरण विधेयक, 2023′ का राजनैतिक दृष्टिकोण राज्यसभा में 3 अगस्त 2023 को ‘प्रेस और नियत कालिक पत्रिका रजिस्ट्रीकरण विधेयक, 2023’ पारित किया गया है। संवैधानिक प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद यह प्रेस एवं पुस्तक...

  • 815
    Magazine

    A letter in 1965 from Viyyur Central Jail

    The Home Minister misused his official position and made a broadcast to the nation. The senior leaders of the communist party had been detained without trial under the  D.I.R. The govt. had also adopted a way of disinformation and propaganda...

  • 637
    Magazine

    लोकतांत्रिक अधिकार और डिजिटल तकनीक – अपर गुप्ता

    सवाल यह उठता है कि क्या डिजिटल तकनीक की इतने बड़े पैमाने पर तैनाती हमें वास्तव में सुरक्षित बनाती है, या यह केवल सुरक्षा का भ्रम पैदा करता है, बस. परियोजना विकास के दृष्टिकोण से भी भारत जैसे गरीब देश...

  • 672
    Magazine

    बिहार में मीडिया, बाजार और समाज – श्रीकांत

    मीडिया और बाजार और उसके सामाजिक सरोकार के बारे में कुछ कहने के पहले कुछ बाते कहने की इजाजत चाहिए। पहली बात महात्मा गांधी से संबंधित है। गांधी जी दिल्ली में वायसराय से मिले थे और कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक...

  • 682
    Magazine

    पत्रकारिता का ऐतिहासिक पतन – पैट्रिक लॉरेंस

    द न्यूयॉर्क टाइम्स ने मई 2016 में अपने सनडे मैगज़ीन में जो स्टोरी छापी थी, उसे मैं अब तक भुला नहीं पाया। हो सकता है कि आपको भी वह कहानी याद हो। यह ओबामा सरकार में “रणनीतिक संचार” के मुख्य...

  • 472
    Magazine

    हिंदुस्तानी फ़िल्मी गीतों में स्त्री गायकी – अशरफ़ अज़ीज़

    ‘इतिहास संबद्धता की मांग करता है।’ – विल्फ्रिड शीड इस लेख का मकसद हिंदुस्तानी फिल्मी गीतों पर उनके सामाजिक और ऐतिहासिक संदर्भ में विचार करना है। यह विचार भारतीय समाज में स्त्री की स्थिति के प्रति रवैये को जानने, समझने...

  • 788
    Magazine

    शीतयुद्ध में विज्ञान बना प्रोपैगेंडा टूल – मार्क वोल्वर्टन

    आदर्श स्थिति के उलट जमीनी हकीकत हमेशा काफी अलग होती है। न्यूटन के गति के नियम या आइंस्टीन के विशेष सापेक्षता अपने मूल में अपॉलिटिकल यानी अराजनैतिक हो सकते हैं। लेकिन चूंकि उनकी व्याख्या और इस्तेमाल इंसान की मर्जी से...

  • 575
    Magazine

    एम.एफ. हुसैन और श्रीमंथुला चंद्रमोहन का मामला : आर्टिस्टिक सेंसरशिप की पड़ताल

    पारुल सिंह* सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में एम.एफ. हुसैन की विवादित पेंटिंग्स (चित्र 1 और 2) मामले में फैसला दिया था। लेकिन उस दौर में इस मसले को लेकर कानून और कला, आदर्श और सांस्थानिक रवैये, प्राचीन भारतीय कला और...

  • 528
    Magazine

    काग़ज़ के फूलः एक पुनर्विचार – अशरफ़ अज़ीज़

      सिनेमा हमारी दृष्टि को एक ऐसे संसार से बदल देती है जो हमारी इच्छाओं के अनुरूप होता है। – आंद्रे बाज़ां मैंने पच्चीस साल बाद गुरु दत्त की महत्त्वाकांक्षी फ़िल्म काग़ज़ के फूल देखी। यह फ़िल्म कैनेडी सेंटर के...

  • 706
    Magazine

    पुस्तक मेले से दूर होती भारतीय भाषाएं : एनबीटी सर्वे

    भारत सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के तहत 1957 में नेशनल बुक ट्रस्ट की स्थापना की गई थी। भारतीय भाषाओं  में समाज में पढ़ने की रुचि बढ़ाने के लिए विभिन्न स्तरों पर काम करना इसके मुख्य उद्देश्यों में शामिल है।...

More Posts

Surveys and studies conducted by Media Studies Group are widely published and broadcast by national media.

Facebook

Copyright © 2023 The Media Studies Group, India.

To Top
WordPress Video Lightbox Plugin